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क्यों फैलाया भ्रष्टाचार। रेत माफिया करों विचार।। जे.पी.रघुव ...
रेत सम हाथों से फिसल रहे हो तुम ...आहिस्ता -आहिस्ता, कि बढ़ ...
सूखे किनारे की गहराई में नमी होती है। एक चीख़ ख़ामोशी में भी द ...
सुलगती नदी थी वो शीतल सा आग था वो तपती रेत को फिर से मुट्ठी ...
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